अपेंडिक्स
क्या है कहा होता है
अपेंडिक्स आँत का एक टुकड़ा है। इसे डॉक्टरी भाषा में एपिन्डिसाइटिस कहते हैं, मरीज के लिए ही नहीं डॉक्टरों के लिए भी एक समस्या है क्योंकि इसका इलाज इतना आसान नहीं है, इसका कारण यह है कि प्रायः यह सुनिश्चित करना कठिन होता है कि दर्द अपेंडिक्स का है भी या नहीं।
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चूँकि हमारे पेट में कई अंग होते हैं, इन अंगों की अनेक बीमारियों में पेटदर्द, बुखार, उल्टी आदि लक्षण समान ही होते हैं। साथ ही पेट के अनेक अंगों व दूसरे रोगों के भौतिक परीक्षण और पूर्व इतिहास भी मिलते–जुलते होते हैं इसलिए अपेंडिक्स को सुनिश्चित करने तथा इसके अंतिम निदान की समस्या प्रायः बनी ही रहती है। फिर भी पूरी तरह परीक्षण किए बगैर मामूली से या अन्य किसी कारण से होने वाले पेटदर्द के निदान के लिए इस अवशेषी अंग को निकाल फेंकना गलत है।
आंत के इस अवशिष्ट टुकड़े का एक सिरा खुला होता है और दूसरा सिरा पूरी तरह बंद। भोजन का कोई कण इसमें प्रवेश कर जाता है तो दूसरा सिरा बंद होने के कारण दूसरी ओर से यह निकल नहीं पाता। इसका परिणाम यह होता है कि अपेंडिक्स संक्रमित हो जाता है।
अपेंडिक्स आँत का एक टुकड़ा है। इसे डॉक्टरी भाषा में एपिन्डिसाइटिस कहते हैं, मरीज के लिए ही नहीं डॉक्टरों के लिए भी एक समस्या है क्योंकि इसका इलाज इतना आसान नहीं है, इसका कारण यह है कि प्रायः यह सुनिश्चित करना कठिन होता है कि दर्द अपेंडिक्स का है।
अपेंडिक्स के लक्षण
पेट में दर्द होना खास कर दाहिने और लंबे समय तक लगातार कब्ज रहना, पेट में पलने वाला परजीवी तथा आंत के क्षयरोग आदि से अपेंडिक्स की नली में अवरोध हो जाता है। ऐसे भोजन का सेवन करना जिसमें रेशा बहुत ही कम या बिल्कुल न हो, भी इस समस्या को निमंत्रण दे सकता है। जब यह अवरोध कुछ दिनों तक लगातार बना रहता है तो अंततः संक्रमण होकर अपेंडिक्स के फटने की स्थिति आ जाती है। अपेन्डिक्स का फटना एक आपात स्थिति है।
नाभि के आसपास तेजदर्द, जी मचलाना, उल्टी, भूख कम लगना आदि अपेंडिक्स के लक्षण हो सकते हैं। यह दर्द पेट के दाएँ भाग में नीचे की तरफ होता है। इस स्थान पर छूने से रोगी को तीव्र दर्द होता है। दायाँ पैर आगे बढ़ाने तक से रोगी का दर्द बढ़ सकता है। ऐसे में रोगी की नब्ज तेज चलती है और उसे तेज बुखार भी हो सकता है।
ऐसी स्थिति में उचित उपचार न मिले तो पेट के दाएँ भाग में गोला बन सकता है |
अपेंडिक्स के प्राथमिक
उपचार
1.कचे पके भोजन का उपयोग न करे
2.आतो को साफ रखने के लिए खली पेट पानी पिया जाये
3.भोजन को अछे से चबा कर खाए
4.पेट दर्द या कब्जियत होने पर अपने फैमली डॉक्टर से सम्पर्क करे
5.नियमित योग करे |