स्वाइन फ्लू से कैसे बचें स्वाइन flu के लछड़ 

क्या है स्वाइन फ्लू, कैसे फैलता है, क्या है लक्षण, कैसे बचें ?
स्वाइन फ्लू एक बार फिर देश में पांव पसार रहा है, आये दिन देश में इससे होने वाली मौतों की संख्या बढ़ती ही जा रही है. फ्लू से डरने के बजाय जरूरत इसके लक्षणों के बारे में जानने और सावधानी बरतने की है. आइए जानें स्वाइन फ्लू से जुड़े तमाम पहलुओं के बारे में :
स्वाइन फ्लू श्वसन तंत्र से जुड़ी बीमारी है जो ए टाइप के इनफ्लुएंजा वायरस से होती है. यह वायरस एच1 एन1 के नाम से जाना जाता है और मौसमी फ्लू में भी यह वायरस सक्रिय होता है. 2009 में जो स्वाइन फ्लू हुआ था, उसके मुकाबले इस बार का स्वाइन फ्लू कम पावरफुल है हालांकि उसके वायरस ने इस बार स्ट्रेन बदल लिया है यानी पिछली बार के वायरस से इस बार का वायरस अलग है.
भारत में स्वाइन फ्लू इस साल अभी तक लगभग 100* लोगों से अधिक की जान ले चुका है,   http://www.doctorbhaiyya.tk

जब आप खांसते या छींकते हैं तो हवा में या जमीन पर या जिस भी सतह पर थूक या मुंह और नाक से निकले द्रव कण गिरते हैं, वह वायरस की चपेट में आ जाता है. यह कण हवा के द्वारा या किसी के छूने से दूसरे व्यक्ति के शरीर में मुंह या नाक के जरिए प्रवेश कर जाते हैं.
मसलन, दरवाजे, फोन, कीबोर्ड या रिमोट कंट्रोल के जरिए भी यह वायरस फैल सकते हैं, अगर इन चीजों का इस्तेमाल किसी संक्रमित व्यक्ति ने किया हो. इसके वायरस सबसे ज्यादा सूअरों में पाए जाते हैं जिससे ये फैलता हैं इसीलिए इसको स्वाइन फ्लू नाम दिया गया है.
1. नाक का लगातार बहना, छींक आना, नाक जाम होना.
2. मांसपेशियां में दर्द या अकड़न महसूस करना.
3. सिर में भयानक दर्द.
4. कफ और कोल्ड, लगातार खांसी आना.
5. बहुत ज्यादा थकान महसूस होना.
6. बुखार होना, दवा खाने के बाद भी बुखार का लगातार बढ़ना.
7. गले में खराश होना और इसका लगातार बढ़ते जाना.
सामान्य फ्लू और स्वाइन फ्लू के वायरस में एक फर्क होता है. स्वाइन फ्लू के वायरस में चिड़ियों, सूअरों और इंसानों में पाया जाने वाला जेनेटिक मटीरियल भी होता है. सामान्य फ्लू और स्वाइन फ्लू के लक्षण एक जैसे ही होते हैं, लेकिन स्वाइन फ्लू में यह देखा जाता है कि जुकाम बहुत तेज होता है.
नाक ज्यादा बहती है. पीसीआर टेस्ट के माध्यम से ही यह पता चलता है कि किसी को स्वाइन फ्लू है. स्वाइन फ्लू होने के पहले 48 घंटों के भीतर इलाज शुरू हो जाना चाहिए. पांच दिन का इलाज होता है, जिसमें मरीज को टेमीफ्लू दी जाती है.
एच1एन1 वायरस स्टील, प्लास्टिक में 24 से 48 घंटे, कपड़े और पेपर में 8 से 12 घंटे, टिश्यू पेपर में 15 मिनट और हाथों में 30 मिनट तक एक्टिव रहते हैं. इन्हें खत्म करने के लिए डिटर्जेंट, एल्कॉहॉल, ब्लीच या साबुन का इस्तेमाल कर सकते हैं.
किसी भी मरीज में बीमारी के लक्षण इन्फेक्शन के बाद 1 से 7 दिन में डिवेलप हो सकते हैं. लक्षण दिखने के 24 घंटे पहले और 8 दिन बाद तक किसी और में वायरस के ट्रांसमिशन का खतरा रहता है.
5 साल से कम उम्र के बच्चे, 65 साल से ज्यादा उम्र के बुजुर्ग और गर्भवती महिलाएं. जिन लोगों को निम्न में से कोई बीमारी है, उन्हें अतिरिक्त सावधानी बरतनी चाहिए :
. फेफड़ों, किडनी या दिल की बीमारी
. मस्तिष्क संबंधी (न्यूरोलॉजिकल) बीमारी मसलन, पर्किंसन
. कमजोर प्रतिरोधक क्षमता वाले लोग
. डायबिटीज वाले लोग
. ऐसे लोग जिन्हें पिछले 3 साल में कभी भी अस्थमा की शिकायत रही हो या अभी भी हो. ऐसे लोगों को फ्लू के शुरुआती लक्षण दिखते ही डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए.
. गर्भवती महिलाओं का प्रतिरोधक तंत्र (इम्यून सिस्टम) शरीर में होने वाले हॉरमोन संबंधी बदलावों के कारण कमजोर होता है. खासतौर पर गर्भावस्था के तीसरे चरण यानी 27वें से 40वें सप्ताह के बीच उन्हें ज्यादा ध्यान रखने की जरूरत है.
. साफ-सफाई का ध्यान रखा जाए और फ्लू के शुरुआती लक्षण दिखते ही सावधानी बरती जाए, तो इस बीमारी के फैलने के चांस न के बराबर हो जाते हैं.
. जब भी खांसी या छींक आए रूमाल या टिश्यू पेपर यूज करें.
. इस्तेमाल किए मास्क या टिश्यू पेपर को ढक्कन वाले डस्टबिन में फेंकें.
थोड़ी-थोड़ी देर में हाथ को साबुन और पानी से धोते रहें
. लोगों से मिलने पर हाथ मिलाने, गले लगने या चूमने से बचें.
. फ्लू के शुरुआती लक्षण दिखते ही अपने डॉक्टर से संपर्क करें.
. अगर फ्लू के लक्षण नजर आते हैं तो दूसरों से 1 मीटर की दूरी पर रहें.
. फ्लू के लक्षण दिखने पर घर पर रहें. ऑफिस, बाजार, स्कूल न जाएं.
. बिना धुले हाथों से आंख, नाक या मुंह छूने से परहेज करें.
आयुर्वेद के निम्न उपायों में से एक समय में एक ही(चिकित्सक देख रेख में) उपाय आजमाएं.
. 4-5 तुलसी के पत्ते, 5 ग्राम अदरक, चुटकी भर काली मिर्च पाउडर और इतनी ही हल्दी को एक कप पानी या चाय में उबालकर दिन में दो-तीन बार पिएं.
. गिलोय (अमृता) बेल की डंडी को पानी में उबाल या छानकर पिएं.
. गिलोय सत्व दो रत्ती यानी चौथाई ग्राम पौना गिलास पानी के साथ लें.
. 5-6 पत्ते तुलसी और काली मिर्च के 2-3 दाने पीसकर चाय में डालकर दिन में दो-तीन बार पिएं.
. आधा चम्मच हल्दी पौना गिलास दूध में उबालकर पिएं. आधा चम्मच हल्दी गरम पानी या शहद में मिलाकर भी लिया जा सकता है.
. आधा चम्मच आंवला पाउडर को आधा कप पानी में मिलाकर दिन में दो बार पिएं. इससे रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है